ऐ शमशानों में रहने वाले
भूतों के संग जीने वाले
एक परणाम मेरा स्वीकार कर
अपना स्वरूप मुझे सजाकर
भभूति से फिर मैं नहालूं
कपालों को फिर मैं पहनूं
रुद्र दिगंबर मैं जग डोलू बोले
डम डम डम मेरा फिर डमरू बोले
एक शक्ति फिर मुझे देकर
मैं सृष्टि पाप सब मिटाकर
तुझे देने मैं फिर आऊं
तू अपना स्वरूप स्वीकार कर
ओ, भूतों के संग जीने वाले
ऐ शमशानों में रहने वाले ।।
~ © कैलाश जांगड़ा बनभौरी (K. J. Banbhori)
#kailashjangrabanbhori #shbdgrz #shbd-grz #marrghatvaaasi मरघटवासी