Note:- All poetry/stories/shayaris are Copyright © 2024 by Kailash Jangra Banbhori.
1.
आफ्ताब से कह दो पासबां ओढ़ कर रखे,
ये नवाज़िश, इनायत यूं ही मयस्सर नहीं होते।
इस जग में लहज़े का सुकून और रूहानी कुर्बत,
बंद चौखट में लफ्ज़ भर से अपने नहीं होते।।
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2.
तेरी सोखियाँ तबाही ढाए मेरे अंगने में
तेरी ज़ीनत जलजलाए मेरे जर्रे जर्रे में
अब ज़ाहिर है कि तमाम तक़दीर
मशरूफ कराए तुझ नूर को इक रुह में।।
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3.
जो जज़्बात अधूरे सफ़र की राह में जुदा गए थे
सुना है ज़ुल्म हुआ उन पर तेरी हुस्न-ए-अदाओं का।।
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4.
जो हर मोड़ पे पासबां हुआ करता था मेरा
वो दोस्त सांप सी रिवायत बन गया है,
जो रक्स करते थे हम हर लफ्ज़ पे
वो उसके गबन से बिखर गया है।
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5.
यह राज अंधेर अमावस का जो सितारों पे गरज़ा है
अफ़सोस…
तेरे ख्वाबों का सिलसिला मुझपे बरसा है।।
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6.
इतनी मिलान की क्या आरजू, जो तु उम्मीदें सजो बैठी है।
ये बेहते दरिए का पानी हैअफ़सोस तेरी राह मिटा बैठी है।।
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7.
दस्तके दे रही मेरी आंखें तलाश में तेरे एक दीदार को
जो दिखे तो सौगात होगी तेरी एक बिछड़ी तड़पती रूह को।।
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8.
सुरूर जो मुझको मिला है तेरी जिंदगी में लौट कर आने का
बे-सबब में मौतजा ही मानता हूं इस बेनियाज़ सफ़र का।।
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9.
इकरार है जिंदगी के सफ़र का इंतकाम भी मुझको
अल्फाज़ो का इज़हार है जादुई मिजाज़ मैं तुझको।।
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10.
राहत की तलाश में मिटा दी ये फ़साना गुलाब से
अब रिश्ता नहीं मेरा तन्हाई में इस छाया तस्वीर से।।