पग डोले सुन मृदंग जग डोले पग डोले
हम तुम संग ये तरंग बह प्रेम रंग, डमरू बोले
रंग नील मनुष, हथ त्रि थाम पग डोले डमरू बोले
पग डोले सुन मृदंग जग डोले पग डोले
हम तुम संग ये तरंग बह प्रेम रंग, डमरू बोले
जग डोले ।।
नृत्य यह धर कांपे सृष्टि नाचे प्रलय होले
राग यह बैराग यह, ताल डमरू बोले
लिपट भभूत रुद्र रूप गल्ल सर्प डोले
पग डोले सुन मृदंग जग डोले पग डोले
हम तुम संग ये तरंग बह प्रेम रंग, डमरू बोले
जग डोले ।।
सिर ज्योत्सना निकल भभूत नत–नत जिसके
हथ रह त्रि डील नस्तर यह, जिस डमरू लिपटे
कैलाश अचल यह जड़ ॐ रमे ॐ बोले
कैलाश मैं मुझ ॐ रमे ॐ बोले, ताल डमरू बोले
पग डोले सुन मृदंग जग डोले पग डोले
हम तुम संग ये तरंग बह प्रेम रंग, डमरू बोले
जग डोले ।।
~ © कैलाश जांगड़ा बनभौरी (K. J. Banbhori)
#kailashjangrabanbhori #shbdgrz #shbd-grz डमरू