शिव महेश्वर शम्भू शंकर
जपता नाम अनेकों होकर ।
श्रीकण्ठ भव शर्व महाकाल अनीश्वर
तुम मिलन संजोग बने श्रावण आकर ।
त्रयीमूर्ति यज्ञमय हवि सोम विश्वेश्वर
कावड़ यात्रा तुम धाम दर पर ।
कैलाश गिरिश्वर अनघ रूद्र दिगम्बर
हरि हर हर जपते व्योमकेश जटाधर ।
भीम भर्ग भूतपति गणनाथ स्थाणु
अज शाश्वत मृड तारक पशुपति परमेश्वर
ॐ शिव महेश्वर शम्भू शंकर ।।
~ © कैलाश जांगड़ा बनभौरी (K. J. Banbhori)
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