हे अनंत दृष्टि के भोलेनाथ
तुम चंद्रपाल हो भूतेश्वर हो
हे कैलाशनाथ तू मेरे साथ
तेरी जटा से बहे गंगा निर्मल
भक्तों से तेरा प्रेम निश्छल
गले में तेरे सृप है साजे
डम डम डम डमरू बाजे
नटराज रूप में नृत्य साधे
तेरी लीला में यह जग साजे ll
~ © कैलाश जांगड़ा बनभौरी (K. J. Banbhori)
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