यह लंबा था वनवास कहीं उन 14 वर्षों से भी
अंत कर रावण का जो था घर अंदर कई अरसों से ही
गूंज रहे हर कण में अब श्री राम के नारे हैं
शबरी ज्यों हर जीवन अब हम तुम पर वारे हैं
राम सिया और लक्ष्मण हनुमान हम तुमपे अधारे हैं
देखो आज फिर से अयोध्या श्री राम पधारे हैं ।।
अपने भक्तों पे तुमने प्रेम-प्राण न्यौछारे हैं
बस, अंखियां हमारी अब तुम्हारी राह निहारे है
यूं तो भक्तों में हनुमान जी भी सबसे न्यारे हैं
देखो प्रभु राम जी अब हम भी तुमको प्यारे हैं
होकर चाहे दूर कितने हम तुमको मन में धारे हैं
देखो आज फिर से अयोध्या श्री राम पधारे हैं ।।
जन्मभूमि पर आपकी मंदिर मस्जिद का विवाद रहा
इस कलयुग के युद्ध में कई भक्तों का भी रक्त बहा
चलकर संविधान सहारे, फिर शत्रु पर पलड़ा भारी पड़ा
जगद्गुरु की वाणी–ग्रंथ तथ्यों से, उनका सर चकरा पड़ा
सविधान युद्ध में लड़कर हमने सत्य हासिल की है
फिर शत्रु की हर चाल को हमने नासाजिस की है
इस उत्सव पर हर नगर बज रहे ढोल नगाड़े हैं
देखो आज फिर से अयोध्या श्री राम पधारे हैं ।।
~ © कैलाश जांगड़ा बनभौरी (K. J. Banbhori)
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